आजकल ज़िन्दगी बहुत कठिन है
आज यहाँ
कल वहाँ
परसों कहाँ
पता नहीं
बस इतना पता होता है कि कल कहीं जाना है
सफर कैसे होगा ?
यह भी पता नहीं रहता
पैदल जाना है?
बस से जाना है?
रेल से जाना है?
या फिर हवाईजहाज से?
लेकिन इतना तो पता है
कि अगर सफर लम्बा है जो पैदल तो नहीं ही जाना होगा
क्योंकि कई हाथ मेरी मदद के लिये खड़े हैं
कभी-कभी कुछ लोग बोलते हैं कि बहुत ऊर्जावान हो
और अक्सर चलते रहते हो
तब मै सामने वाले के हिसाब से
कभी जवाब देता हूँ
और कभी चुप रह जाता हूँ
जिनको जवाब देता हूँ
उनसे कहता हूँ कि
वक्त सिर्फ इसको याद रखता है
और साथ लेकर चलता है
जो अपनी किसी सफलता को
आखिरी पड़ाव नही मानता और
उसे ज़िन्दगी का पूर्ण विराम नही मानता
सिर्फ एक छोटा सा अल्पविराम मानकर
अपने पसीने रोकने के लिये रुकता है
और कुछ देर बाद फिर चल देता है
क्योंकि थके हुये का वक्त कभी साथ नहीं देता
उसके दुनिया में होने पर भी वक्त पर कोई प्रभाव नही पड़ता
क्योंकि अगर वक्त थके हुये पर रहम करेगा तो
उसका क्या होगा
जो थकने के बावजूद भी निरन्तर चल रहा है
इसबात पर बिल्कुल परवाह किये बगैर हम
वक्त को कोसते रहते हैं
यही हमारी हार है
और यही हमारी जीत है
जो सिर्फ समझ पर निर्भर करती है।
आजकल ज़िन्दगी बहुत कठिन है
आज यहाँ
कल वहाँ
परसों कहाँ
पता नहीं
बस इतना पता होता है कि कल कहीं जाना है
सफर कैसे होगा ?
यह भी पता नहीं रहता
पैदल जाना है?
बस से जाना है?
रेल से जाना है?
या फिर हवाईजहाज से?
लेकिन इतना तो पता है
कि अगर सफर लम्बा है जो पैदल तो नहीं ही जाना होगा
क्योंकि कई हाथ मेरी मदद के लिये खड़े हैं
कभी-कभी कुछ लोग बोलते हैं कि बहुत ऊर्जावान हो
और अक्सर चलते रहते हो
तब मै सामने वाले के हिसाब से
कभी जवाब देता हूँ
और कभी चुप रह जाता हूँ
जिनको जवाब देता हूँ
उनसे कहता हूँ कि
वक्त सिर्फ इसको याद रखता है
और साथ लेकर चलता है
जो अपनी किसी सफलता को
आखिरी पड़ाव नही मानता और
उसे ज़िन्दगी का पूर्ण विराम नही मानता
सिर्फ एक छोटा सा अल्पविराम मानकर
अपने पसीने रोकने के लिये रुकता है
और कुछ देर बाद फिर चल देता है
क्योंकि थके हुये का वक्त कभी साथ नहीं देता
उसके दुनिया में होने पर भी वक्त पर कोई प्रभाव नही पड़ता
क्योंकि अगर वक्त थके हुये पर रहम करेगा तो
उसका क्या होगा
जो थकने के बावजूद भी निरन्तर चल रहा है
इसबात पर बिल्कुल परवाह किये बगैर हम
वक्त को कोसते रहते हैं
यही हमारी हार है
और यही हमारी जीत है
जो सिर्फ समझ पर निर्भर करती है।
Monday, February 22, 2010
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