वक्त की परछाइयों को ढूढियेगा मत
वरना आप भी बनजायेंगे साया मानलीजिये
बस इन्तहाँ की होड़ में भागियेगा मत
वरना हर कदम पर फिसल जायेंगे मानलीजिये
हर कदम पर मंज़िल से आँखमिचौली करिये मत
वरना रास्ते मुह मोड़ लेंगे मानलीजिये
कोई सफर में अपना पराया नही होता
सिर्फ सुनिये नही अब मानलीजिये
हौसलों की डोर टूटे जुड़ भी जाती है
मोहब्बत में खलल आये अगर फिर रोकलीजिये
साया आप भी हैं, हम भी हैं, दुनिया भी है लेकिन
मिसाल अब हमे बनना है ठानलीजिये
Sunday, August 22, 2010
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very nice.
ReplyDeleteसाया आप भी हैं, हम भी हैं, दुनिया भी है लेकिन
ReplyDeleteमिसाल अब हमे बनना है ठानलीजिये
सच्चे और अच्छे भाव
स्वागत है।
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