Saturday, October 29, 2011
दोस्तों जब एक गरीब परिवार को देखता हूं तो दिल में दर्द होता हैं, लेकिन जब ऐसा होता है कि आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के स्थान पर सिर्फ जाति को ध्यान मं रखकर आरक्षण दिया जाता है तो और भी दर्द होता है, तो दोस्तों एक अच्छी सोच जागृत करने का वक्त आ गया है आप चाहे जिस भी जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, इलाका, व्यवसा से हों सारे बंधनों को तोड़कर अपने गरीब भाई-बहनों की मदद करें आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण दिया जाए इसके लिए पुरुषार्थ दिखाएं क्योंकि यह इंसानियत की पहचान है, और अगर आज का युवा यानी आप और हम जग जाएं हाथ मिला लें तो कुछ असंभव नहीं
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