Tuesday, July 16, 2019

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Wednesday, April 12, 2017

फिल्म या वेश्यावृत्ति?

मैं समाज में किसी भी पक्ष का विरोध नहीं करता। और मैं इसका पुरजोर समर्थन भी करता हूँ की समाज के किसी भी वर्ग या हिस्से को खत्म ना किया जाय। समाज में रहने वाले हर किसी का अपना स्थान है। अगर समाज के किसी भी हिस्से को अलग किया जायेगा तो समाज अव्यवस्थित हो जाएगा। जैसे कला, शासन, प्रशासन, मीडिया, सफाई वाला, महिला, पुरुष, किन्नर आदि-आदि। पर जब हमारे समाज के कुछ लोगों को ज्ञान का अजीर्ण हो जाता है और वो अपने स्वार्थ के लिए समाज के नियमों को तोड़ने लगते हैं तब हमारा समाज शर्मिन्दा होता है और फिर विसंगतियां आने लगती हैं। जैसे कला बहुत ही पवित्र और साधना है। कला और वेश्यावृत्ति दोनों का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। मैं वेश्यावृत्ति का विरोध नहीं कर रहा क्योंकी उसका समाज में अपना स्थान है पर कला या फिल्म में पुरजोर और खुल्ला विरोध करता हूँ। अभी कुछ सालों में कुछ स्वार्थी फिल्मकारों ने अपनी फिल्म से ज़्यादा पैसा कमाने के लिये वेश्यावृत्ति से उठा कर महिलाओं को फिल्म में जगह दे रहे हैं जो न सिर्फ कला का अपमान है बल्कि हमारे समाज की महिलाओं का भी अपमान है। खासकर उन उच्च दर्जे की महिलाओं का जिन्होंने कला और फिल्म के माध्यम से समाज को आइना दिखाया है।

Saturday, October 29, 2011

दोस्तों जब एक गरीब परिवार को देखता हूं तो दिल में दर्द होता हैं, लेकिन जब ऐसा होता है कि आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के स्थान पर सिर्फ जाति को ध्यान मं रखकर आरक्षण दिया जाता है तो और भी दर्द होता है, तो दोस्तों एक अच्छी सोच जागृत करने का वक्त आ गया है आप चाहे जिस भी जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, इलाका, व्यवसा से हों सारे बंधनों को तोड़कर अपने गरीब भाई-बहनों की मदद करें आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण दिया जाए इसके लिए पुरुषार्थ दिखाएं क्योंकि यह इंसानियत की पहचान है, और अगर आज का युवा यानी आप और हम जग जाएं हाथ मिला लें तो कुछ असंभव नहीं